पूरी दुनिया आज विश्व युद्ध अनाथ दिवस मना रही है। इसकी शुरुआत प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद हुई थी। एक फ्रांसीसी संगठन ने युद्ध में अनाथ और अपंग हो चुके बच्चों की जिंदगी को फिर से पटरी पर लाने के मकसद से इसकी शुरुआत की थी। तब से प्रतिवर्ष 6 जनवरी को विश्ययुद्ध अनाथ दिवस मनाने की परंपरा है।
Explainer: वर्ल्ड डे फॉर वॉर ऑरफैंस यानि विश्व युद्ध अनाथ दिवस… की शुरुआत युद्धग्रस्त बच्चों की जिंदगी को आगे बढ़ाने और उन्हें त्रासदी से उबारने के लिए है। प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध में लाखों बच्चे अनाथ हो गए थे। साथ ही लाखों बच्चे जिंदगी भर के लिए तो कुछ आंशिक रूप से अपंग हो गए। इन बच्चों की जिंदगी को आगे बढ़ाना, उन्हें सदमे से उबारना पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया था। बच्चों की पीड़ा को महसूस करते हुए सबसे पहले एक फ्रांसीसी संगठन एसओएस एनफैंट्स एन डिट्रेसस ने विश्व युद्ध अनाथ दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा था। इसके लिए 6 जनवरी का दिन तय किया गया। तब से लेकर आज तक विश्व युद्ध अनाथ दिवस मनाने की परंपरा अनवरत चली आ रही है।